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स्टॉक मार्केट में डेरिवेटिव क्या है उसका संपूर्ण मार्गदर्शन


डेरिवेटिव उसके सरल रूप में यह होता है कि एक वस्तु दूसरी वस्तु में से अपना मूल्य प्राप्त करती है । स्टॉक मार्केट में भी यह समान अर्थ रखता है । स्टॉक मार्केट में डेरिवेटिव क्या है? - इस सवाल का जवाब यह है कि डेरिवेटिव एक वित्तीय (आर्थिक) साधन है जो उसका मूल्य या कीमत अंतर्निहित संपत्ति (Underlying Asset) के पर आधार रखता है । उदाहरण के तौर पर, पेट्रोल और डीजल क्रूड ऑयल/तेल (Crude Oil - अपरिष्कृत तेल अर्थात परिष्कृत/ प्रोसेस नहीं किया हुआ तेल) से बने हैं। इसीलिए पेट्रोल और डीजल अपरिष्कृत तेल (crude oil) के डेरिवेटिव है । इस ब्लॉग में हम शेयर मार्केट मैं डेरिवेटिव के बारे में पूरा विवरण शामिल करने वाले हैं ।


यह ब्लॉग शामिल करता है,

शेयर मार्केट में डेरिवेटिव क्या होता है

स्टॉक मार्केट में डेरिवेटिव के प्रकार

डेरिवेटिव को लेनदेन (ट्रेड) करने की भारत में पूर्व-आवश्यकताएं

डेरिवेटिव को स्टॉक मार्केट में कैसे लेन देन (ट्रेड) करना है

शेयर मार्केट में डेरिवेटिव में रहे जोखिम (Risk) के बारे में आपको अवगत होना चाहिए?

निष्कर्ष


शेयर मार्केट में डेरिवेटिव क्या होता है

डेरिवेटिव दरअसल वित्तीय अनुबंध (contract) होते हैं जिनका मूल्य अंतर्निहित संपत्ति (underlying asset) के ऊपर से निर्धारित होता है । आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली संपत्ति स्टॉक, बॉन्ड, मुद्राएं, कमोडिटीज और मार्केट इंडेक्स होती है । इन अनुबंध (contract) को खरीदने या बेचने को डेरिवेटिव ट्रेडिंग से संदर्भित किया जाता है । डेरिवेटिव के साथ आप मुनाफा कमा सकते हो भविष्य की अंतर्निहित संपत्ति (underying asset) की कीमत के बारे में भविष्यवाणी / अनुमान (predict) करके ।

साधारण तौर पर स्टॉक्स, बॉन्ड, नकद, माल, बाजार सूचकांक (मार्केट इनडायसिस - market indices) मैं इस्तेमाल होते हैं । अंतर्निहित संपत्ति (underlying assets) का मूल्य मार्केट के अनुसार बदलता रहता है ।


डेरिवेटिव अनुबंध (contract) में प्रवेश करने के पीछे का मूल सिद्धांत अंतर्निहित संपत्ति (underlying) के मूल्य पर अटकल (सट्टा) लगाकर मुनाफा कमाना है ।


चलिए एक बेहतरीन उदाहरण के साथ शेयर बाजार में डेरिवेटिव को समझते हैं


चलिए हम मान लेते हैं, एक किसान, जो गेहूँ पैदा करता है, 4 महीने के बाद 10 क्विंटल गेहूँ रुपये 2000 प्रति क्विंटल पर बेचने की उम्मीद करता है । लेकिन बेमौसम बारिश की भविष्यवाणी से उसे कुछ नुकसान होने का उसे डर लग रहा है ।


इस जोखिम (Risk) से बचने के लिए वह एक कमोडिटी ब्रोकर (कमोडिटी दलाल) के पास जाता है और उसके 10 क्विंटल गेहूं को 4 महीने के बाद रु. 2000 बेचने का एक अनुबंध (contract) यानी लिखित समझौता करता है ।

इसलिए, कल अगर बाजार में बड़ी आपूर्ति के कारण कीमतें रु 1970 तक गिर जाती हैं, तो ब्रोकर रुपये का भुगतान करने के लिए बंध जाएगा । लेकिन चार महीने के बाद, अगर गेहूं का बाजार मूल्य रु 2020 तक बढ़ जाता है, तो किसान को रु 20 प्रति क्विंटल का नुकसान होता है क्योंकि वह रुपये पर बेचने के लिए बंध जाएगा । यह लेन-देन बहुत सरलता से बताता है कि एक डेरिवेटिव अनुबंध (contract) कैसे काम करता है!


यह एक फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट का एक उदाहरण है जो शेयर बाजार में डेरिवेटिव के प्रकारों में से एक है जहां अंतर्निहित संपत्ति (Underlying Asset) एक वस्तु है। यदि आप भारत में डेरिवेटिव ट्रेडिंग में प्रवेश करना चाहते हैं तो आपको डेरिवेटिव के बारे में सब कुछ पता होना चाहिए। अब जब आप जानते हैं कि शेयर बाजार में डेरिवेटिव क्या है? आइए इसके प्रकारों के लिए आगे बढ़ते हैं।


मूल रूप से वह चार प्रमुख प्रकार के डेरिवेटिव अनुबंध (contract)हैं,

१. फॉरवर्ड्स

२. फ्यूचर्स

३. ऑप्शंस

४. स्वॅप

आइए हम आपको शेयर बाजार में प्रत्येक प्रकार के डेरिवेटिव के बारे में बताते हैं,

स्टॉक मार्केट में डेरिवेटिव के प्रकार

१. फॉरवर्ड्स

ये वित्तीय (आर्थिक ) अनुबंध (contract) खरीदारों को एक निर्दिष्ट भविष्य की तारीख पर पूर्व-सहमत मूल्य पर संपत्ति खरीदने के लिए बंधित करते हैं। फॉरवर्ड अनुकूलित अनुबंध (contract) हैं और उनका कहीं भी कारोबार नहीं किया जाता है।


२. फ्यूचर्स

ये वित्तीय (आर्थिक ) अनुबंध (contract) खरीदारों को एक निर्दिष्ट भविष्य की तारीख पर पूर्व-सहमत मूल्य पर एक संपत्ति खरीदने के लिए बाध्य करते हैं। फॉरवर्ड्स और फ्यूचर्स अनुबंधों (contracts) की प्रकृति समान है। विशेष अंतर यह है कि लेन देन (Exchanges) पर ट्रेड किया जाता है।


३. ऑप्शंस

ऑप्शंस अनुबंध (contract) के खरीदार को अधिकार प्रदान करते हैं लेकिन खरीदार को अंतर्निहित संपत्ति (underlying asset) को पूर्व निर्धारित मूल्य पर बेचने का दायित्व नहीं देते हैं। दो प्रकार के विकल्प हैं ।


४. कॉल ऑप्शन :

कॉल ऑप्शन में, आपके पास एक निश्चित कीमत पर एक अंतर्निहित संपत्ति (Underlying Asset) की दी गई मात्रा को खरीदने का अधिकार है, लेकिन दायित्व नहीं है।


५. पुट ऑप्शन :

पुट ऑप्शन में, आपके पास एक निश्चित कीमत पर अंतर्निहित कमोडिटी/संपत्ति (commodities/underlying assets) की दी गई मात्रा को बेचने का अधिकार है, लेकिन दायित्व नहीं है।


किसी भी तरह के विकल्प को खरीदने के लिए आपको एक प्रीमियम देना होगा।


६. स्वॅप

स्वॅप स्टॉक मार्केट डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स में डेरिवेटिव के प्रकार हैं जो दो पक्षों के बीच नकदी प्रवाह के आदान-प्रदान की अनुमति देते हैं।


मार्क टु मार्किट

शेयर बाजार में डेरिवेटिव में यह महत्वपूर्ण शब्द है। मार्क टू मार्केट में केवल बुक वैल्यू (blue value) के बजाय मौजूदा बाजार मूल्य को दिखाने के लिए किसी सुरक्षा के मूल्य या मूल्य को रिकॉर्ड करना शामिल है। इसे एमटीएम (MTM) के रूप में भी जाना जाता है और ज्यादातर फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग में किया जाता है।


भारत में डेरिवेटिव ट्रेडिंग के फायदे क्या है?

१. जोखिम (Risk) का सामना करने के लिए (हेजिंग रिस्क/Hedging Risk)

क्योंकि डेरिवेटिव का मूल्य अंतर्निहित संपत्ति (underlying asset) के पर आधार रखता है, यह वाले अनुबंध (contract) ज्यादातर जोखिम (Risk) का सामना करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं । हेजिंग रिस्क यानी कि एक इन्वेस्टमेंट (निवेश) का जोखिम (Risk) दूसरा इन्वेस्टमेंट (निवेश) करके कम करना ।

२. अंतर्निहित संपत्ति (Underlying Assets) कीमत निर्धारण

भारत में डेरिवेटिव ट्रेडिंग में स्पॉट डेरिवेटिव अधिकतर अंतर्निहित संपत्ति की कीमत को निर्धारित (determine) करने में ज्यादातर इस्तेमाल होता है । उदाहरण के तौर पर फ्यूचर की स्पॉट प्राइस (spot price - स्पॉट कीमत) कमोडिटी की कीमत का अनुमान करने में हो सकती है ।


३. सबसे ज्यादा रिटर्न (Higher Return)

डेरिवेटिव ट्रेडिंग आपको सबसे ज्यादा रिटर्न के लिए अधिक संभावनाएं देती है करती है।


शेयर मार्केट में डेरिवेटिव में रहे जोखिम (Risk) के बारे में आपको अवगत होना चाहिए?

१. अधिक अस्थिरता (हाई वोलैटिलिटी)

डेरिवेटिव्स की अधिक अस्थिरता उन्हें संभावित भारी नुकसान के लिए के लिए उजागर करती है।


२. अटकल योग्य लक्षण (स्पेक्युलेटिव फीचर)

मेरी बेटी को ज्यादातर अटकल योग्य उपकरण (speculative tool) माना जाता है । स्पेक्युलेटिव की जोखिम (Risk) से भरी प्रकृति और उनके अनुमानित ना किए जाने वाले बर्ताव की वजह से, अविवेकी अटकल (unreasonable speculation) करना भारी नुकसान कर सकता है ।

भारत में डेरिवेटिव ट्रेडिंग अत्यंत लाभदायक हो सकती है लेकिन हम यही सुझाव देते हैं कि आपके पास कम से कम से कम 5-6 साल का अनुभव होने के बाद ही आप डेरिवेटिव मार्केट में प्रवेश करें।


डेरिवेटिव को स्टॉक मार्केट में कैसे लेन देन (ट्रेड) करना है

डेरिवेटिव ट्रेडिंग के लिए, आपको नीचे लिखी गई बातों के बारे में पता होना चाहिए,

१. पूर्व-आवश्यकताएं

डेरिवेटिव ट्रेडिंग को शुरू करने के लिए आपके पास अगली पूर्व-आवश्यकताएं होनी चाहिए:


१) एक सक्रिय डीमैट खाता (DeMat Account)

२) भारत में एक ट्रेडिंग खाता (Trading Account)

३) आपके ट्रेडिंग खाते में एक निर्धारित प्रतिशत नकद आपकी डेरिवेटिव मैं (लेन देन) ट्रेड करने कि क्षमता के लिए


भारतीय स्टॉक मार्केट (शेयर बाजार) मैं डेरिवेटिव्स को लेन देन (ट्रेड) करने के लिए आपको आपका डी-मेट (DeMat) खाता आपके ट्रेडिंग खाते (Trading) से जोड़ना (लिंक करना) पड़ेगा । अगर आपके पास ट्रेडिंग खाता नहीं है तो कोई अच्छी ब्रोकिंग फॉर्म के साथ आप अपना ट्रेडिंग खाता खोल (सेटअप) सकते हैं ।


२. मार्जिन मनी (Margin Money)

अधिकतर मुनाफे के साथ डेरिवेटिव्स मैं उतना ही अधिकतर जोखिम (Risk) होता है । इसलिए डेरिवेटिव ट्रेडिंग में, डेरिवेटिव ट्रेडर के लिए अपने ट्रेडिंग खाते (Trading Account) में नकदी के रूप में अपनी बकाया डेरिवेटिव स्थिति के मूल्य का एक निर्धारित प्रतिशत रखना अनिवार्य है । इस रकम को "मार्जिन मनी (Margin Money)" कहा जाता है ।

भारतीय शेयर बाजार में डेरिवेटिव को ट्रेड करना सेबी (SEBI - Securities and Exchange Board of India) के द्वारा नियंत्रित किया जाता है ।


निष्कर्ष

अभी तक क्या आप जानते हैं कि डेरिवेटिव क्या है स्टॉक मार्केट में? चार स्टॉक मार्केट के डेरिवेटिव्स मैं से. फ्यूचर और ऑप्शन स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेन किए जाते हैं । डेरिवेटिव ट्रेडिंग एक " भारी जोखिम (Risk) - भारी मुनाफा" (High Risk - High Profit) वाला विषय (concept) है । भारतीय शेयर बाजार (स्टॉक मार्केट) में डेरिवेटिव ट्रेडिंग शुरू करने के लिए. एक डी-मैट खाता (DeMat Account)और एक ट्रेडिंग खाता (Trading Account) होना आवश्यक है । जैसे कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग में भारी जोखिम (High Risk) शामिल होने के कारण यह सबके बस की बात नहीं है । अगर आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए शुरुआती व्यक्ति हो, तो सही सलाह यह होगी कि आप पर्याप्त छानबीन (रिसर्च) डेरिवेटिव सेगमेंट मैं शुरू होने से पहले करें ।


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