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कॉल ऑप्शंस और पुट ऑप्शंस के बारे में सम्पूर्ण जानकारी



ऑप्शंस (Options) थोड़े जटिल हैं, लेकिन शेयर मार्केट (Share Market) व्यापारियों के लिए एक बहुत लोकप्रिय ट्रेडिंग साधन हैं। ऑप्शंस वह वित्तीय डेरिवेटिव (Financial Derivative) हैं जो ट्रेडर्स को पूर्व सहमत मूल्य और तारीख पर एक अंडरलाइंग एसेट (Underlying Asset) को खरीदने या बेचने का अधिकार देते हैं, लेकिन दायित्व नहीं देते। शेयर मार्केट (Share market) में दो प्रमुख प्रकार के ऑप्शंस हैं; कॉल ऑप्शन (CALL Option) और पुट ऑप्शन (PUT Option) । इस ब्लॉग में हमने कॉल और पुट ऑप्शंस के बारे में हिंदी में जानकारी दी है (What is CALL and PUT Option in Hindi)। निवेशक (Investor) लाभ अर्जित करने और जोखिम को कम करने के लिए ऑप्शंस (Options) का उपयोग कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में, ऑप्शंस जटिल व्यापारिक रणनीतियों (Trading Strategies) के लिए और उनके पोर्टफोलियो (Portfolio) का लाभ उठाने के लिए एक आधार बनाते हैं।


शेयर मार्केट में दो प्रमुख प्रकार के ऑप्शंस हैं

१. कॉल ऑप्शन (CALL Option)

२. पुट ऑप्शन (PUT Option)


कॉल ऑप्शन (CALL Option)

जब कोई निवेशक एक निर्दिष्ट समय अवधि के भीतर अंडरलाइंग एसेट (Underlying Asset) की कीमत में वृद्धि की भविष्यवाणी करता है, तो वह कॉल ऑप्शन खरीदकर उस सिक्यूरिटी की कीमत को लॉक कर देगा। कॉल ऑप्शन खरीददार को कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति पर, एक पूर्व निर्धारित मूल्य (जिसे स्ट्राइक प्राइस के रूप में भी जाना जाता है।) पर अंडरलाइंग सिक्यूरिटी (Underlying Security) खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं देता है।


पुट ऑप्शन (PUT Option)

जब एक निवेशक एक निर्दिष्ट समय अवधि के भीतर अंडरलाइंग एसेट की कीमत में गिरावट की भविष्यवाणी करता है, तो वह कॉल ऑप्शन (CALL Option) को बेचकर उस सिक्यूरिटी (Security) की कीमत को लॉक कर देगा। पुट ऑप्शन (Put Option) एक कॉन्ट्रैक्ट है जो खरीदार को कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति (Expiry) पर पूर्व निर्धारित मूल्य जिसे स्ट्राइक प्राइस (Strike Price) के रूप में जाना जाता है, उसपर एक विशेष अंडरलाइंग सिक्यूरिटी को बेचने का अधिकार देता है। प्रत्येक कॉन्ट्रैक्ट में खरीददार (Buyer) और विक्रेता (Seller) ये दो पक्ष होते हैं। हर एक कॉल खरीदार (CALL Buyer) के पास कॉल विक्रेता (CALL Seller ) होता है और इसी तरह, प्रत्येक पुट खरीददार (PUT Buyer) के पास एक पुट विक्रेता (PUT Seller) होता है।


कॉल और पुट के प्रॉफिट की गणना (Profit Calculations)

स्ट्राइक प्राइस (Strike Price)

स्ट्राइक प्राइस एक पूर्व निर्धारित कीमत है जिस पर एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट (Derivative Contract) को खरीदा या बेचा जा सकता है।

स्पॉट प्राइस (Spot Price)

कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति (Expiry) या परिपक्वता (Maturity) पर अंडरलाइंग एसेट की जो कीमत होती है उसे स्पॉट प्राइस कहते है।

प्रीमियम (Premium)

ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट का वर्तमान बाजार मूल्य ऑप्शन का प्रीमियम है।


कॉल ऑप्शन (CALL Option)

लॉन्ग कॉल ऑप्शन - खरीदने का अधिकार (Long CALL Option- Right to Buy)

केस १

स्ट्राइक प्राइस = १००

प्रीमियम भुगतान = १०

स्पॉट प्राइस = ९०


यहाँ पर ट्रेडर ने १० रुपये का प्रीमियम देकर १०० रुपये के स्ट्राइक प्राइस पर सिक्यूरिटी को लॉक दिया है, इससे कॉल खरीदार को १०० रुपये में खरीदने का अधिकार है, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति तिथि (Expiry Date) पर अगर सिक्यूरिटी का मार्केट प्राइस (Market Price) ९० रुपये तक गिर जाता है तो कॉल खरीददार १०० पर ऑप्शन (Option) नहीं खरीदेगा, इसलिए उसके द्वारा भुगतान किया गया प्रीमियम यानी १० रुपये उसका अधिकतम नुकसान होगा ।


केस २

स्ट्राइक प्राइस = ३००

प्रीमियम भुगतान = ३०

स्पॉट प्राइस = ४५०


इस मामले में, कॉन्ट्रैक्ट की कीमत कितनी भी निचे जाये ट्रेडर को यह कॉन्ट्रैक्ट ३०० रुपये में खरीदने का अधिकार मिलता है। लेकिन यहाँ पे मार्केट प्राइस (Market Price) ४५० है और जैसे की खरीदने के अधिकार के तहत ट्रेडर यह कॉन्ट्रैक्ट ४५० में खरीद लेगा और लाभ (Profit) कमा लेगा।


लाभ (Profit) = स्पॉट प्राइस- स्ट्राइक प्राइस, मतलब १५० रुपये का लाभ।

लेकिन प्रीमियम भुगतान ३० रुपये था। इसलिए कुल लाभ (Net Profit) = १५०-३० = १२० रुपये।


शॉर्ट कॉल ऑप्शन (बेचने का अधिकार) (Short Call Option-Right to Sell)

स्ट्राइक प्राइस = १००

प्रीमियम प्राप्त = १०

स्पॉट प्राइस = १५०

शॉर्ट कॉल ऑप्शन में, ट्रेडर पर सिक्यूरिटी को १०० रुपये में बेचने की अनिवार्यता होती है। भलेही कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति पर, सिक्यूरिटी की कीमत १५० रुपये तक बढ़ जाती है, तब भी उसको वो कॉन्ट्रैक्ट १०० में ही बेचना होगा। यहाँ पर ट्रेडर को ५० रुपये का नुकसान दिख रहा है। लेकिन उसने १० रुपये का प्रीमियम लिया है तो उसका कुल नुकसान ५० - १०= ४० रुपये होगा।


पुट ऑप्शन (PUT Option)

शॉर्ट पुट (बेचने का अधिकार) (Short PUT)

स्ट्राइक प्राइस = २००

प्रीमियम प्राप्त = ४०

स्पॉट प्राइस = २३०


पुट ऑप्शन में, स्ट्राइक प्राइस २०० रुपये है, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति पर उसी सिक्यूरिटी का बाजार मूल्य २३० रुपये है, इसलिए ट्रेडर इसे २०० रुपये में नहीं बेचेगा। इसलिए ४० रुपये का प्रीमियम इस व्यापार में होने वाला अधिकतम नुकसान है।


लॉन्ग पुट (Long PUT)

स्ट्राइक प्राइस = ५००

भुगतान किया गया प्रीमियम = ३०

स्पॉट प्राइस = ४९०


लॉन्ग पुट में, ट्रेडर को ५०० रुपये के स्ट्राइक प्राइस पर कॉन्ट्रैक्ट बेचने का अधिकार है जो स्पॉट प्राइस ४९० रुपये से अधिक है। तो, ट्रेडर ५०० रुपये पर सिक्यूरिटी बेच सकता है और १० रुपये का लाभ कमा सकता है, लेकिन वह पहले ही ३० रुपये का प्रीमियम भी दे चूका है। इसलिए, उसका कुल नुकसान २० रुपये है।


यहां, दूसरी ओर शॉर्ट पुट (Short PUT) खरीददार को २० रुपये का लाभ मिलेगा।


टाइम वैल्यू और इन्ट्रिंसिक वैल्यू (Time Value and Intrinsic Value)

ऑप्शंस के प्रीमियम में दो विशेषताएं होती हैं; टाइम वैल्यू (Time Value) और इन्ट्रिंसिक वैल्यू (Intrinsic Value)। टाइम वैल्यू और इन्ट्रिंसिक वैल्यू दोनों मिलकर एक ऑप्शन के मार्केट प्राइस का प्रतिनिधित्व करते है।


टाइम वैल्यू (Time Value)

टाइम वैल्यू सिक्यूरिटी का वह मूल्य है जिसे उसकी एक्सपायरी तिथि (Expiry Date) के अनुपात में मापा जाता है। किसी ऑप्शन (Option) के समाप्त होने के लिए जितना अधिक समय बचा है, उसका मूल्य उतना ही अधिक होता है क्योंकि हम इसे होल्ड (Hold) करते समय रिटर्न्स कमाने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं।

ऑप्शन के प्रीमियम (Options Premium) के हिस्से के रूप में टाइम वैल्यू को समझना महत्वपूर्ण है।

टाइम वैल्यू (Time Value) की गणना ऑप्शन की कीमत और इन्ट्रिंसिक वैल्यू (Intrinsic Value) के बीच के अंतर के रूप में की जाती है।


टाइम वैल्यू = ऑप्शन प्रीमियम - इन्ट्रिंसिक वैल्यू।


जब कोई निवेशक ओटीएम (OTM) या एटीएम (ATM) ऑप्शन खरीदता है, जिसका प्रीमियम उसके टाइम वैल्यू के बराबर होता है, तो इस बात का अधिक जोखिम होता है कि ऑप्शन का एक्सपायरी के तारीख पर कोई मूल्य नहीं होगा, क्योंकि यह पहले से ही ओटीएम (OTM) या एटीएम (ATM) है । ऑप्शन के मूल्यहीन होने के अधिक जोखिम के कारण,ओटीएम और एटीएम ऑप्शंस में समान अंडरलाइंग एसेट पर आईटीएम (ITM) ऑप्शंस की तुलना में कम प्रीमियम होता है।


इन्ट्रिंसिक वैल्यू (Intrinsic Value)

इन्ट्रिंसिक वैल्यू कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति पर अंडरलाइंग एसेट के स्ट्राइक प्राइस और उसके मार्केट प्राइस के बीच अंतर की गणना करके प्राप्त किया जाता है। प्रत्येक संपत्ति (Asset) का एक इन्ट्रिंसिक वैल्यू होता है जो उस विशेष संपत्ति के मूल्य को मापता है। एटीएम ऑप्शंस (ATM Options) और ओटीएम (OTM Options) ऑप्शंस का कोई इन्ट्रिंसिक वैल्यू नहीं है क्योंकि दोनों ही मामलों में ऑप्शन के लिए कोई मूल्य लाभ नहीं है। जब ट्रेडर्स बाजार की कीमतों में भविष्य में होनेवाले उतर चढाव के बारे में निश्चित होते है, तो वे अपनी कीमतों में दांव लगाते हैं। जैसे-जैसे कॉन्ट्रैक्ट का प्रकार बदलता है, गणना की प्रक्रिया भी बदलती है। आइए प्रत्येक घटना के बारे में जानें:


कॉल ऑप्शंस का इन्ट्रिंसिक वैल्यू (Intrinsic Value of CALL Option)

इन्ट्रिंसिक वैल्यू = स्पॉट प्राइस - स्ट्राइक प्राइस


मान लीजिये की, टाटा मोटर्स ३१० रुपये पर कारोबार कर रहा है। यदि कोई ट्रेडर इस सिक्यूरिटी की कीमत में वृद्धि की भविष्यवाणी करता है, तो वह टाटा मोटर्स का कॉल ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस पर, याने की ३४० रुपये पर १२ रुपये का प्रीमियम देकर खरीदेगा। अगर शेयर की कीमत (Share Price) स्ट्राइक प्राइस से ऊपर उठती है, मान लीजिए ३६० होती है तो,

कॉल ऑप्शन का इन्ट्रिंसिक वैल्यू = ३६० - ३४० = २०

अगर शेयर की कीमत स्ट्राइक प्राइस से नीचे गिरती है, मान लीजिए ३२५ होती है तो ,

कॉल ऑप्शन का इन्ट्रिंसिक वैल्यू = ३२५ - ३४० = -१५

एक और बात यह है की इन्ट्रिंसिक वैल्यू कभी भी नेगेटिव नहीं हो सकता, इसलिए स्ट्राइक प्राइस ३२५ रुपये माना जाएगा।

कॉल ऑप्शन का इन्ट्रिंसिक वैल्यू = 0

जिस ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस मार्केट प्राइस से कम होता है उसका इन्ट्रिंसिक वैल्यू पॉजिटिव होता है और जिस ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस मार्केट प्राइस से अधिक होता है उसका इन्ट्रिंसिक वैल्यू शून्य होता है।


पुट ऑप्शन का इन्ट्रिंसिक वैल्यू (Intrinsic Value of PUT Option)

इन्ट्रिंसिक वैल्यू = स्ट्राइक प्राइस - स्पॉट प्राइस


मान लीजिये की, टाटा मोटर्स ३१० रुपये पर कारोबार कर रहा है। यदि कोई ट्रेडर भविष्य में इस सिक्यूरिटी की कीमत में गिरावट की भविष्यवाणी करता है, तो वह टाटा मोटर्स का पुट ऑप्शन २९० रुपये स्ट्राइक प्राइस पर १२ रुपये के प्रीमियम पर खरीदेगा। अगर शेयर की कीमत स्ट्राइक प्राइस से नीचे गिरती है, मान लीजिए २७० होती है तो,

पुट ऑप्शन का इन्ट्रिंसिक वैल्यू = २९० - २७० = २०

और अगर स्टॉक की कीमत स्ट्राइक प्राइस से ऊपर जाती है, मान लीजिए कि ३०० होती है तो,

पुट ऑप्शन का इन्ट्रिंसिक वैल्यू = २९० - ३०० = -१०  

लेकिन जैसे की हमने पहले देखा इन्ट्रिंसिक वैल्यू कभी भी नेगेटिव नहीं हो सकता इसलिए यहा पर,

पुट ऑप्शन का इन्ट्रिंसिक वैल्यू = ०

जिस ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस मार्केट प्राइस से अधिक होता है उसका इन्ट्रिंसिक वैल्यू पॉजिटिव होता है।

और जिस ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस मार्केट प्राइस से कम होता है, उसका इन्ट्रिंसिक वैल्यू शून्य होता है।


ब्रेक इवन पॉइंट (Break Even Point)

ब्रेक इवन पॉइंट वह स्तर है जिस पर नुकसान से बचने के लिए ऑप्शन के खरीददार के लिए सुरक्षा पहुंचनी चाहिए। जब कभी स्पॉट प्राइस स्ट्राइक प्राइस से ऊपर उठती है, तो नुकसान कम होना शुरू हो जाता है। नुकसान उस स्थिति तक कम से कम होते रहता हैं जहां व्यापार से न तो लाभ होता है और न ही हानि। इसे ब्रेक ईवन पॉइंट (Break Even Point) कहा जाता है।


ब्रेक-ईवन = स्ट्राइक प्राइस + प्रीमियम भुगतान


हमारे उदाहरण में, स्ट्राइक प्राइस = ३४० और प्रीमियम = १२ है इसलिए,

ब्रेक इवन पॉइंट = ३४० + १२ =३५४

इसप्रकार आप कॉल और पुट ऑप्शंस को समझ सकते है। हम आशा करते है कि इस ब्लॉग से आपको कॉल और पुट ऑप्शंस के बारे में बहुत सारी जानकारी मिल गयी होगी। कॉल और पुट ऑप्शंस के बारे में जानना आपके लिए बहुत उपयुक्त साबित होगा। टाइम वैल्यू और इन्ट्रिंसिक वैल्यू जैसी अवधारणाओं की मदद से हम आसानी से समझ सकते हैं कि भविष्य में कीमतों में होने वाले उतर चढाव के कारण मूल्य में क्या फरक आ सकता है और संपत्ति के मूल्य के लिए कितना असर हो सकता है और तदनुसार हमारी रणनीतियों को बनाए रख सकते है।

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